उत्तराखंड में हुए साइबर हमले ने पूरे राज्य में सुरक्षा चिंताओं को जन्म दिया है। इस हमले के पीछे कुछ बड़ी गलतियों का होना संभव माना जा रहा है, जिसके बारे में आईटी विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक गंभीर तकनीकी चूक का परिणाम हो सकता है। इस संबंध में आईटी विशेषज्ञ अमित दुबे ने अमर उजाला के साथ एक विशेष बातचीत में इस साइबर हमले के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
उत्तराखंड में हुए साइबर हमले की प्रकृति ने सभी को चौंका दिया। इसमें विशेष रूप से मैकोप रैनसमवेयर का उपयोग किया गया, जिसने सरकारी और अन्य संस्थानों के कामकाज को प्रभावित किया। यह हमला तकनीकी कमजोरियों, प्रक्रियाओं की खामियों और उपयोगकर्ताओं की लापरवाही के कारण हुआ हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस साइबर हमले के पीछे तकनीकी स्तर पर कई कमजोरियाँ हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सभी तकनीकी सुरक्षा स्तरों की जाँच की जाए। अगर कोई फायरवॉल टूटा है, तो यह गंभीर तकनीकी मामला है। सुरक्षा के पांच स्तर होने के बावजूद अगर कोई तकनीकी दोष है तो यह चिंताजनक है।
दूसरी ओर, प्रक्रियागत स्तर पर भी कमजोरियाँ हो सकती हैं। यह देखने की जरूरत है कि जिस प्रक्रिया का पालन किया जा रहा था, वह कितनी मजबूत थी। अगर प्रक्रियाओं में कई लूपहोल हैं, तो यह भी साइबर हमले का एक कारण हो सकता है।
तीसरी प्रमुख चूक उपयोगकर्ता स्तर पर हो सकती है। यह जानना जरूरी है कि उन लोगों ने, जिनके पास सभी सॉफ्टवेयर से संबंधित आईटीडीए के प्रशासनिक अधिकार हैं, साइबर अपराध के प्रति कितनी सजगता दिखाई। अगर उपयोगकर्ता सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रहे हैं, तो यह साइबर हमले के लिए दरवाजा खोल सकता है।
उत्तराखंड में कई विभाग अभी भी ओपन नेटवर्क पर कार्य कर रहे हैं, जो साइबर हमले का एक बड़ा कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार अनुरोधों के बावजूद कई विभाग सुरक्षित नेटवर्क SWAN या NIC पर नहीं जा रहे हैं। हालांकि, कुछ पुलिस स्टेशन और चौकियाँ सुरक्षित नेटवर्क पर हैं, लेकिन कई पुलिस चौकियाँ अब भी ओपन नेटवर्क पर चल रही हैं। अगर ये विभाग सुरक्षित नेटवर्क पर होते, तो संभवतः ऐसे हमले से बचा जा सकता था।
विशेषज्ञ दुबे यह भी बताते हैं कि सही बैकअप होना अत्यंत आवश्यक है। साइबर हमले के बाद, आईटी सेवाओं को तुरंत अन्य विकल्पों के माध्यम से पुनः स्थापित करने की आवश्यकता होती है। अगर बैकअप की व्यवस्था सही ढंग से की गई होती, तो हमले के प्रभाव को कम किया जा सकता था।
इस तरह के हमलों से बचने के लिए सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। सभी विभागों को सुरक्षित नेटवर्क पर जाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा पर प्रशिक्षण देना होगा ताकि वे साइबर खतरों को समझ सकें और उन्हें पहचान सकें।
साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या के बीच, जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। उपयोगकर्ताओं को यह समझना चाहिए कि उनकी छोटी-सी लापरवाही भी बड़े साइबर हमलों का कारण बन सकती है। इसलिए, नियमित प्रशिक्षण और सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए।![](https://cnnindia.news/wp-content/uploads/2024/10/IMG-20241013-WA0021-300x300.jpg)
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