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साईं बाबा की मूर्तियों के हटाने को लेकर छिड़ा विवाद

कहीं ये कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं: जितेंद्रानंद सरस्वती

  1. उत्तर प्रदेश के वाराणसी के मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमा हटाई गई. जिसको लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है. इससे पहले भी साईं बाबा के जन्म और धर्म को लेकर विवाद खड़े हो चुके है. वाराणसी के मंदिरों से साईं प्रतिमा हटाने पर सियासत भी तेज होती नजर आ रही है. कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की भी घटना पर प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि जो हो रहा है वो उचित नहीं है.बालासाहेब थोराट ने कहा कि साईं बाबा जाति, पंथ और धर्म से ऊपर हैं. वह धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक हैं.उनके साथ जो हो रहा है वह उचित नहीं है. वहीं चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि साईं बाबा सभी के लिए पूजनीय हैं. मैं एक साईं भक्त हूं. मैं तीन दशकों से अधिक समय से साईं मंदिर जा रहा हूं, जो हुआ वह बुरा है. ऐसा नहीं होना चाहिए.‘राजनीतिक साजिश की आशंका’साईं बाबा की प्रतिमा हटाने के मामले पर अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक साजिश की आशंका जताई है. उन्होंने कहा साईं बाबा हमारे लिए संत है उनका अपमान नहीं होना चाहिए. सनातन धर्म के 127 संप्रदाय है उनकी अपनी-अपनी मान्यता है. हम सब उनका सम्मान करते हैं. संभव है कि एक मान्यता दूसरी मान्यता से टकराए लेकिन किसी को किसी का अपमान करने का अधिकार नहीं है. जिस प्रबंधन ने मूर्ति को हटाया, वहां 8 साल पहले ही मूर्ति स्थापित की गई थी.‘आस्था अनास्था में कैसे बदली’जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जिसने प्रतिमा को स्थापित किया उसकी आस्था अनास्था में कैसे बदल गई ये किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा तो नहीं. ताकि साजिश के तहत हिंदू समाज बंट जाए. मामले की सभी पहलुओं पर जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे साईं को भगवान की श्रेणी में नहीं रखते लेकिन वो हमारे लिए एक संत है और संत का अपमान नहीं होना चाहिए.

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