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निकाय चुनाव को लेकर जल्द आयेगा अध्यादेश। ओबीसी आरक्षण पर सरकार ने साफ की तस्वीर

उच्च न्यायालय में चल रहा मामला निस्तारित

काशिफ़ सुल्तान । रुड़की ।                    जब से उत्तराखंड का गठन हुआ है तब से पहली बार निकाय चुनाव को लेकर बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं।निकायों का कार्यकाल खत्म हुए लगभग एक साल होने जा रहा है लेकिन अभी तक छवि प्रक्रिया को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर चल रही उठा पटक पर विराम लग गया है।राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के समक्ष ओबीसी आरक्षण पर अपना रुख साफ कर दिया है।अंत में सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका को पूरी तरह से निरस्त कर दिया है।आपको बता दें कि जिस ओबीसी आरक्षण को लेकर अभी तक उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही थी और जनहित याचिका में जनसंख्या वृद्धि को लेकर ओबीसी आरक्षण की जो मांग की गई थी उस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था।रुद्रपुर निवासी रिजवान अंसारी की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की युगल पीठ ने सुनवाई की।राज्य सरकार की ओर से पेश जवाबी हलफनामे में कहा गया कि ओबीसी आरक्षण पर सेवा निवृत्त न्यायाधीश ब्रह्म सिंह वर्मा की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।रिपोर्ट में जो ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश की गई है उसको राज्य सरकार ने मान लिया है।
कमेटी की इस सिफारिश पर राज्य सरकार की सहमति के बाद मंत्रिमंडल ने भी अपनी स्वीकृति देकर उस पर मुहर लगा दी है।आगे कहा गया कि सरकार इस मामले में आने वाले दो सप्ताह के अंदर अध्यादेश लाकर अपनी मुहर लगा देगी।अंत में सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर अदालत ने जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया।
अब देखना ये है कि अध्यादेश में किस तरह से ओबीसी आरक्षण का खुलासा किया जाएगा कितने प्रतिशत ओबीसी आरक्षण मिलेगा कौन सी सीटों पर आरक्षण रहेगा कितनी सीटें आरक्षण से बाहर रहेंगी।
इस सब के बाद चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशी और उनके समर्थकों में जोश वापस आ गया है और सभी अपनी अपनी गुना भाग करने में जुट गए हैं।

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