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जुबान पर काबू नहीं तो कार्यक्रम भी नहीं

नरसिंहानंद की धर्म संसद को नहीं मिली अनुमति

City News Network (Roorkee) यति नरसिंहनाद की धर्म संसद को जहां संतों ने ठुकरा दिया तो वहीं प्रशासन ने भी सख्ती दिखाते हुए सशर्त अनुमति की बात रख दी थी ।आपको बता दें कि पिछले मामलों से सबक लेते हुए प्रशासन इस बार कोई भी विवाद नहीं चाहता था इसलिए सशर्त अनुमति की बात रखते हुए किसी भी तरह के विवादित बयानों से अपनी जुबान को काबू में रखने को बोला गया था जिस पर नरसिंहनाद ने अपनी तो सहमति जता दी थी लेकिन अन्य लोगों की गारंटी लेने से इनकार कर दिया था कि कोई और भी किसी भी तरह के विवादित बोल नहीं बोलेंगे।अब ऐसे में प्रशासन भी किसी भी तरह का विवाद सन् 2021की तरह खड़ा होने नहीं देना चाहता था इसलिए प्रशासन ने जुबान पर काबू रखने वाली बात की जिम्मेदारी न लेने पर यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित धर्म संसद को अनुमति नहीं दी और सभी कार्यक्रमों पर रोक लगा दी।धर्म संसद पर पहले ही कई संतों ने विरोध दर्ज कराया था और धार्मिक नेताओं और संगठनों से भी इसका विरोध करने के लिए कहा था तो ऐसे में प्रशासन को भी सख्ती दिखानी पड़ी और धर्म संसद के नाम से होने वाले इस कार्यक्रम को रोक दिया गया।धर्म संसद के लिए टेंट और पंडाल भी लगा दिए गए थे हालांकि तब तक परमिशन भी नहीं हुई थी इस कार्यक्रम की और मंच भी तैयार कर लिया गया था जब इसकी जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को लगी तो सूचना पर एसडीएम अजयवीर सिंह और सीओ जूही मनराल पुलिस बल के साथ जून अखाड़ा पहुंचे और टेंट,पंडाल मंच,कुर्सियों आदि को हटवा दिया।हालांकी इस सब पर नरसिंहनंद ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमारी इस धर्म संसद का आयोजन सिर्फ इतना था कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर जो अत्याचार हो रहा है हम उस पर कुछ बात कर सकें लेकिन ऐसा लगता है कि हमें जून अखाड़े से सुप्रीम कोर्ट तक पैदल मार्च करना पड़ेगा और उनसे पूछना पड़ेगा कि क्या हमे हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर बोलने का भी अधिकार नहीं है?

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